
लखनऊ राज्यसभा की 10 सीटों पर हो रहे चुनाव में बुधवार को दिनभर चली उठा-पटक के बीच एसपी समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश बजाज का पर्चा खारिज हो गया। बीएसपी प्रत्याशी रामजी गौतम के प्रस्तावकों में ही सेंधमारी कर उनका पर्चा खारिज करवाने की एसपी की रणनीति पर अंतत: बीएसपी भारी पड़ गई। इस पूरे घटनाक्रम से बीजेपी, बीएसपी और एसपी के लिए तीन बड़े संदेश निकलकर सामने आए हैं। जो कि इस प्रकार हैं:- 1. दोस्ती या दुश्मनी धुंधली उम्मीद में भी जीत की चमक तलाशने वाली बीजेपी का एक्स्ट्रा वोट होने के बाद भी बीएसपी को 'वॉकओवर' देना नए समीकरणों की जन्म दे रहा है। इसके बाद बीएसपी पर बीजेपी की 'बी' टीम होने का आरोप एसपी-कांग्रेस और मुखर करेंगी। बीजेपी इसे दलित हितैषी होने के तौर पर पेश कर सकती है। 2. बीएसपी की दरकती जमीन राज्यसभा में बीएसपी भले ही नंबर बढ़ाने में सफल रही हो, लेकिन विधानसभा में उसका 'नंबर' खिसक गया। एक-तिहाई विधायकों की खुली बगावत दरकती जमीन और छूटती पकड़ का संकेत है। आगे खतरा और बढ़ेगा। 3. परसेप्शन का फायदा सियासत में परसेप्शन मायने रखता है। एसपी समर्थित प्रत्याशी का पर्चा भले ही खारिज हो गया, लेकिन बीएसपी में सेंधमारी कर उसने अपने इरादे जता दिए हैं। यह भी संदेश जाता है कि बीजेपी की खिलाफ लड़ने वालों को एसपी ही मुख्य विकल्प दिख रही है। कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे प्रकाश बजाज चुनाव आयोग ने रामजी गौतम का पर्चा सही पाया। इसके साथ ही सभी प्रत्याशियों का निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया। वहीं, पर्चा खारिज किए जाने के खिलाफ प्रकाश बजाज ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। यूपी की 10 सीटों पर हो रहे राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने आठ, एसपी और बीएसपी ने एक-एक प्रत्याशी उतारे थे। मंगलवार को आखिरी मौके पर एसपी विधायकों के समर्थन से प्रकाश बजाज ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भर दिया। पर्चों की जांच के दौरान आया निर्णायक मोड़ बुधवार को पर्चों की जांच होनी थी। सामान्य से दिख रहे घटनाक्रम में एकाएक नाटकीय मोड़ तब आया जब बीएसपी के ही चार विधायकों ने पार्टी प्रत्याशी रामजी गौतम के प्रस्तावक के तौर पर अपना नाम वापस लेने का दावा कर दिया। इन विधायकों ने एसपी मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात भी की। हालांकि, मंगलवार शाम को अधिकारियों ने बीएसपी प्रत्याशी का पर्चा स्वीकार कर लिया। उनका कहना था कि नामांकन के तीन सेट थे। दो सेट में उन विधायकों के नाम और हस्ताक्षर थे, जिन्होंने आपत्ति की थी। वहीं, तीसरे सेट में ऐसा कोई प्रस्तावक नहीं था, जिसे ऐतराज हो इसलिए रामजी गौतम का नामांकन पत्र जांच में सही करार दिया गया। ये चुने जाएंगे निर्विरोध! अगर कोर्ट से प्रक्रिया प्रभावित नहीं हुई तो बीजेपी प्रत्याशी हरदीप सिंह पुरी, अरुण सिंह, नीरज शेखर, बृजलाल, बीएल वर्मा, हरिद्वार दुबे, सीमा द्विवेदी और गीता शाक्य, एसपी प्रत्याशी रामगोपाल यादव और बीएसपी प्रत्याशी रामजी गौतम का निर्विरोध निर्वाचन हो जाएगा। हालांकि, इसकी अधिकृत घोषणा दो नवंबर तक नाम वापस लिए जाने की अवधि समाप्त होने के बाद ही होगी। ऐसे बदला घटनाक्रम 11.30 AM : बीएसपी विधायक चौधरी असलम अली, असलम राईनी, मुज्तबा सिद्दीकी और हाकिम लाल बिंद ने चुनाव अधिकारी को हलफनामा दिया कि बीएसपी प्रत्याशी के नामांकन में प्रस्तावक के रूप में उनके दस्तखत नहीं है। वे अपना नाम वापस ले रहे हैं। 12: 00 PM : बीएसपी के विधानदल के नेता लालजी वर्मा ने चुनाव अधिकारी को दूसरा हलफनामा दिया, जिसमें उन्होंने विधायकों का दावा गलत बताया। कहा, दस्तखत सही हैं। विधायक नामांकन में मौजूद थे। इसकी उन्होंने विडियो फुटेज भी दिया है। इसके बाद राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र विधानभवन पहुंचे। वहां, उन्होंने विधायकों से बातचीत की। कुछ कागजी कार्रवाई के बाद वहां से चले गए। 1:00 PM : सूत्रों के अनुसार बीएसपी विधायक असलम अली, असलम राईनी, मुज्तबा सिद्दीकी, हाकिम लाल बिंद और हरिगोविंद भार्गव ने एसपी मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की। फोन पर बुलावा आने के बाद विधायक सुषमा पटेल भी मिलने पहुंचीं। 1.15 PM : संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने चुनाव अधिकारी से मिलकर लिखित आपत्ति जताई कि निर्दलीय प्रत्याशी के नामांकन पत्र में ऐसे प्रस्तावक का नाम है, जो विधायक ही नहीं है। प्रस्तावक में एसपी विधायक जवाब जान की जगह नवाब शाह लिखा था। 8:00 PM : चुनाव आयोग ने निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश बजाज का पर्चा गलतियों के कारण खारिज कर दिया। वहीं, बीएसपी प्रत्याशी रामजी गौतम के पर्चे का तीसरा सेट सही पाया गया। उन्हें हरी झंडी दे दी गई। 'सही पर्चा गायब कर दिया' निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश बजाज ने कहा कि सही पर्चा गायब कर दिया गया। हमने पर्चे के दो सेट जमा किए थे। गलत आधार पर नामांकन रद किया गया था। हम कोर्ट जाएंगे। 'खरीद फरोख्त एसपी की पुरानी प्रथा' बीएसपी के महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा ने कहा कि खरीद फरोख्त समाजवादी पार्टी की पुरानी प्रथा है। विधायकों के खिलाफ ऐक्शन पर पार्टी फैसला करेगी। विधायकों ने किसके दबाव में गलत बयान दिया यह उन्हें ही बताना चाहिए।
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