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Saturday, November 14, 2020

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एक्‍सपर्ट बोले- पटाखे जले तो दिल्ली-एनसीआर का गैस चैंबर बनना तय

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नई दिल्लीदिल्ली-एनसीआर समेत कई शहरों में 30 नवंबर तक पटाखों पर रोक है। लेकिन एक्सपर्ट के अनुसार अगर इन आदेशों का उल्लंघन करते हुए पटाखे जलाए गए तो यह न सिर्फ दिल्ली-एनसीआर को गैस चैंबर में बदल देगा, बल्कि कई मौतों का कारण भी बन सकता है। दिवाली में पटाखे जलाए जाने की वजह से हवा में पीएम 2.5 की मात्रा कम से कम 40 एमजीसीएम तक बढ़ जाती है। यह बढ़ोतरी बच्चों और बुजुर्गों के अलावा कमजोर लोगों के लिए समस्या बन सकती है। 2019 की दिवाली के दिनों में राजधानी में छह गुना, बैंगलुरू में 2.2 गुना, कोलकाता में 1.4 गुना, लखनऊ में 1.1 गुना तक प्रदूषण बढ गया था। पटाखों से बढ़ती हैं ये खतरनाक गैसेंपटाखों की वजह से हवा में कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ), नाइट्रिक ऑक्साइड (एनओ), नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड (एनओटू), ओजोन (ओथ्री) आदि में इजाफा हुआ। इनमें सबसे खतरनाक पीएम 2.5 है। यह श्वसन तंत्र को गहराई तक प्रभावित करता है। साथ ही इसका असर आंख, नाक, गले, फेफड़ों में हो सकता है। साथ ही कफ, नाक बहना और सांस फूलने जैसी समस्या हो सकती है। यह अस्थमा और दिल की बीमारियों का भी कारक बन सकता है। इंडियन चेस्ट सोसायटी, लंग इंडिया ने एक शोध में बताया कि छह ऐसे पटाखे हैं, जो स्थानीय प्रदूषण तो करते ही हैं बल्कि उनसे पीएम 2.5 का इतना ज्यादा उत्सर्जन होता है कि वे आपके परिवार में बच्चों को मृत्यु तक या उसकी दहलीज पर भी पहुंचा सकते हैं। दिवाली के अगले दिन इमर्जेंसी लेवल पर प्रदूषणसफर के अनुसार 2016 से 2019 तक दिल्ली में प्रदूषण का स्तर दिवाली के पांच दिन पहले और पांच दिन बाद तक बहुत खराब स्तर से गंभीर स्तर के बीच रहा है। दिवाली के अगले ही दिन प्रदूषण इमर्जेंसी स्तर को छूने लगता है। खासतौर से 2016 और 2018 में दीवाली के अगले दो रोज बेहद दमघोंटू रहे हैं। वहीं, 2017 और 2019 में हवा गंभीर स्तर पर पहुंची जरूर, लेकिन वह इन दो वर्षों के मुकाबले काफी कम रही है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा के अर्थशास्त्र विभाग के धनंजय घई और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस की रेणुका साने ने 2013-17 के बीच हर दिवाली के दिन प्रदूषण के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इसमें पाया गया कि दिवाली में पटाखे वायु प्रदूषण के आंकड़ों को बढाने में काफी बड़ी भूमिका निभाते हैं। पीएम 2.5 में थोड़ा भी इजाफा खतरनाक हो सकता है। मृत्‍युदर में होती है बढ़ोतरीमिसाल के तौर पर वायु प्रदूषण और डेली मोर्टेलिटी को लेकर हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टिट्यूट ने 2010 में पाया था कि चीन में दो दिन के औसत पीएम 10 के स्तर में 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की बढ़ोतरी के कारण 0.26 फीसदी मृत्युदर में बढ़ोतरी हुई। वहीं, 2017 में हॉवर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ ने शोध में बताया कि एक गर्मी में यदि पीएम 2.5 के स्तर में 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की बढ़ोतरी होती है तो इतने स्तर से ही प्रतिदिन मृत्युदर में एक फीसदी की बढ़ोतरी हो जाती है और इस छोटी अवधि में ही 65 साल वाले लोगों के ऊपर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी के एक शोध का हवाला देते हुए उन्होंने कहा था कि पीएम 2.5 और सार्स कोविड -2 वायरस दोनों ही फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। पटाखों के कारण वायु प्रदूषकों के बढ़ने और उसके कारण होने वाले मौतों के बिंदुओं का यह जोड़ धीरे-धीरे साफ हो रहा है। कौन सा पटाखा कितना हानिकारक सांप की गोली: यह दिखने में जितनी छोटी है, उतनी ही घातक है। इससे सबसे कम समय में सबसे ज्यादा पीएम 2.5 का उत्सर्जन होता है। इसमें 3 मिनट में 64,500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पीएम 2.5 का उत्सर्जन होता है, जो कि 464 सिगरेट के बराबर नुकसान देह है। फुलझड़ी: बच्चों की फेवरेट फुलझड़ी से 3 मिनट में 28,950 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर 2.5 कणों का उत्सर्जन होता है, जो कि 208 सिगरेट के बराबर नुकसानदेह है। स्पार्कलर्स (छुरछुरिया): यह 2 मिनट में 10,390 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर 2.5 कणों का उत्सर्जन करती है, जो कि 74 सिगरेट के बराबर नुकसानदेह है। चकरी: इससे 5 मिनट में 9,490 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर 2.5 कणों का उत्सर्जन होता है, जो कि 68 सिगरेट के बराबर नुकसानदेह है। अनार: इससे 3 मिनट में 4,860 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर 2.5 कणों का उत्सर्जन होता है, जो कि 34 सिगरेट के बराबर नुकसानदेह है।


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